सोमवार, फ़रवरी 21

छत्तीसगढ़ का गौरव पंडवानी गायिका प्रभादेवी...सर्जना शर्मा

"मैं इतनी उड़ान भरुं , इतनी ऊंची उडूं , इतनी ऊंची उडूं कि तीजन दीदी के बराबर पहुंच जाऊं , बस मेरे छतीसगढ़ का नाम हो , मेरे मां बाप का नाम हो , मेरे गुरूदेव का नाम हो मेरे देश का नाम हो " वो  बोलती जा रही थीं और उनकी  आंखों में सितारे चमक रहे थे , उनके सांवले सलोने चेहरे पर ऐसा मधुर भाव  आ रहा था जिसे मैं शब्द ही नहीं दे पा रही हूं  । बस उनका  वो हसरतों से भरा चेहरा बार बार मेरे सामने आ रहा है । दिल्ली के इंदिरा गांधी कला केंद्र में वो मेरे सामने बैठी थी गहरे हरे रंग की ठेठ छतीसगढ़ी साड़ी , मांग में ढ़ेर सारा सिंदूर माथे पर बड़ी सी बिंदी , गले में, बाजुओं में हाथों में चांदी के परंपरागत गहने और कमर में चांदी की मोटी सी सुंदर तगड़ी । पतली दुबली सी ये महिला छतीसगढ़ की पंडवानी गायिका है प्रभादेवी । इंदिरा गांधी कला केंद्र में चल रहे जय उत्सव -- जीवंत परंपरा में महाभारत , में वो अपने इलाके की महाभारत कथा सुनाने आयी हुई है । उनकी नवरस भरी पंडवानी तो मैं कईं दिन से सुन रही थी लेकिन जब पहली बार बात की तो एक ऐसी प्रभादेवी से परिचय हुआ जो एक प्रतिभाशाली कलाकार होने के साथ  साथ एक बेहतरीन इंसान भी हैं और अपने दम पर ऊंची उड़ान भरने की हिम्मत रखती हैं  । तीजन बाई ने पंडवानी में खूब नाम कमाया सम्मान पाए , देश विदेश में घूमी । प्रभादेवी के लिए तीजन बाई रोल मॉडल हैं उनके लिए मन में वो बहुत सम्मान रखती हैं । और उसी ऊंचाई को छूना  चाहती हैं जहां तीजन बाई पहुंची।

 प्रभा ने पंडवानी गायन कैसे शुरू किया मैनें सवाल किया तो वो अपने अतीत में चली गयीं उनके पिता राम सिंह यादव भी उनके साथ बैठे हुए थे । प्रभा ने बताया उनके गांव में एक बार एक पंडवानी  गायिका आई  उस समय वो तीसरी क्लास में पढ़ती थी । और उसी दिन तय कर लिया कि बस वो भी पंडवानी गायिका ही बनेगीं । और महाभारत के कुछ प्रसंग ले कर जब तब  गाना  शुरू कर दिया । गांव के बड़े बूढ़ों ने सुना तो उन्हें लगा लड़की में दम है इसे पंडवानी की शिक्षा मिलनी चाहिए। गुरू की खोज  शुरू कर दी गयी । और आखिर में गांव के लोगों ने गुरू खोज दी दिया- उनके गांव चंदखूरी फार्म से दूर बासिन गांव के झाडूराम देवांगन । और अपने माता पिता की इकलौती संतान प्रभा छोटी सी उम्र में घर छोड़ कर गुरू की शऱण में चली गयीं । माता पिता तो बिल्कुल नहीं चाहते थे कि छोटी सी सुकुमार बेटी आंखों से दूर हो जाए । लेकिन बच्ची ने ठान लिया था कि वो पंडवानी गायिका बन कर ही रहेगी । गुरू देवांगन को पूरी महाभारत जुबानी याद थी, अनेक सम्मानों ,पुरस्कारों से सम्मानित थे । अब जहां कहीं गुरू जी पंडवानी गाने जाते प्रभा भी साथ साथ जातीं और ध्यान से सुनतीं कि गुरू जी क्या और कैसे गा रहे हैं । अकेले में वैसे ही गाने की प्रैक्टिस करतीं ।

गुरू जी के बेटे कुंजबिहारी ने उन्हें सबल सिंह चौहान द्वारा लिखी महाभारत दी । उसमें पूरी महाभारत दोहों और चौपाइयों में है । चौपाइंया याद करनी शुरू की । हारमोनियम तबला बजाना सीखा । अब गुरू जी ने देखा कि प्रभा सीख  रही है तो उन्होने अपने साथ मंच देना शुरू किया । गुरू जी गा लेते तो छोटी सी बच्ची की बारी आती दस पंद्रह मिनट वो भी गातीं सुनने वाले दंग रह जाते इतनी छोटी सी बच्ची और इतनी प्रतिभा । देखते देखते छतीसगढ़ की महाभारत उन्हें जुबानी याद हो गयी । और गुरू ने सोने को आग में तपा कर कुंदन बना दिया। अब वो पंडवानी गाने जाती है राज्य सरकार से बहुत सहायता मिलती है । प्रभा देवी अपनी कहानी सुना रही थी और उनके पिता की आंखों से झर झर आंसू बह रहे थे । उन्हें वो दिन याद रहे थे जब उनकी छोटी सी बेटी पंडवानी के लिए उन्हें छोड़ कर चली गयी थी । लेकिन अब वो खुश भी हैं कि उनकी बेटी नाम कमा रही है ।

जय उत्सव में प्रभा देवी की पंडवानी सुनना एक सुखद अनुभव रहा . अपनी मंडली के साथ वो गाती हैं एकतारा और खड़ताल स्वयं बजाती है । पल में महान योद्धा अर्जुन बनती है तो दूसरे ही पल अर्जुन की सखा कृष्ण ।  मधुर लेकिन बुलंद स्वर । पंडवानी में केवल गायन और वादन ही काफी  नहीं है अभिनय भी महत्वपूर्ण है । प्रभादेवी जिसका किरदार निभाती हैं वैसी ही हो जाती हैं । किरदार में पूरी तरह डूब जाती हैं । उन्हें देख कर लगता है वो गा नहीं रही हैं बल्कि आनंद  के सागर में गोते लगा रही हैं । एक गोता लगाती है और बाहर आती है । वो स्वयं बताती हैं कि जब अर्जुन के संवाद गाती है तो उन्हें लगता है अर्जुन धनुष बाण लिए हुए उनकी तरफ आ रहे हैं और जब कृष्ण के संवाद गा रही होती हैं तो लगता है सुदर्शन चक्र लिए पीतांबर धारी बढ़े चले आ रहे हैं । यही है अपने काम में आकंठ डूब जाने का प्रमाण महाभारत को पल पल जीने का प्रमाण ।
 महाभारत में सबसे अच्छा क्या लगता है ?  ऐसा कौन सा प्रसंग है जो आपको बहुत प्रिय है ?  प्रभा ने कहा द्रोपदी का स्वयंवर और सुभद्रा का भगवान कृष्ण से विवाह .।और प्रभा ने ये भी बताया कि क्यों . प्रभा कहती है इसमें श्रृंगार रस है और इसे महिलाएं भी समझती हैं औऱ जब मेरी महिला श्रोता झूम उठती हैं तो मुझे भी आनंद आता है ।

छतीसगढ़ की महाभारत और लोक कथाओं में द्रोपदी को मां पार्वती का अवतार माना जाता है और मां जगदंबा की तरह पूजा जाता है । प्रभा कहती हैं उनके इलाके में द्रोपदी का उपहास नहीं उड़ाया जाता वहां द्रोपदी के पांच पति होने के पीछे एक पौराणिक कहानी जुड़ी है । प्रभा द्रोपदी की बात जब करती है तो उनके हाथ श्रद्धा से जुड़ जाते हैं । वो बताती हैं कि एक  गाय के श्राप से ही मां पार्वती को पांच पतियों की पत्नी बनना पड़ा ।

एक बार एक गाय के पीछे पांच सांड पड़े थे गाय स्वंय को बचा रही थी मां पार्वती ने देखा तो वो गाय को देख कर हंस पड़ी । तब गाय ने श्राप दिया कि मैं तो असहाय गाय हूं तुम्हे नारी के रूप में पांच पतियों की पत्नी बनना पडेगा । प्रभा  बताती हैं कि गाय के श्राप के कारण ही मां पार्वती ने द्रोपदी के रूप में जन्म लिया . और जहां मां पार्वती जायेंगी वहां भगवान शिव को तो जाना ही पड़ेगा इसलिए पांचों पांडव भगवान शिव का ही अवतार हैं । द्रोपदी से जुड़ी ये लोक कथा छतीस गढ़ की आंचलिक महाभारत की कहानी है । और सदियों से यहां द्रोपदी को जगदंबा के रूप में पूजा जाता है । और महाभारत का ये लोक रूप , व्याख्या वहां के जनमानस में लिखित महाभारत से कहीं ज्यादा गहरी आस्था से जुड़ी है ।

अब प्रभा ने अपनी जय मां कौशल्या पंडवानी पार्टी बना रखी है , रेडियो पर गाती हैं टीवी पर गाती है मंच पर गाती हैं गांवों में गाने जाती हैं । शादी हुए कईं साल हो गए तीन बच्चे हैं । पति घर पर रह कर खेती बाड़ी संभालते हैं और बच्चों की देख रेख भी करते हैं । दो बेटियां हैं एक बेटा । सब पढ़ रहे हैं कोई भी पंडवानी को अपना पेशा बनाना चाहेगा तो वो मना नहीं करेगीं । इस साधारण सी दिखने वाली महिला ने अपनी लगन से एक मंजिल हासिल कर ली है बस अब हसरत है ऊंची उड़ान भरने की । प्रभा देवी बहुत महिलाओं के मिसाल हैं ।
                                                                                                                    

19 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत प्रेरक प्रसंग है। धन्यवाद प्रभा जी के परिचय के लिये।

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  2. प्रभादेवी की उडान उनके सपनों को सार्थक करे. शुभकामनाएँ...

    गाय के श्राप वाले प्रसंग की जानकारी नई लगी । आभार सहित...

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  3. प्रभा देवी के बारे मे जानकर बहुत सुखद लगा…………हमारे देश की नारियाँ चाहे कहीं से भी हों अपनी पहचान बना रही हैं और ये जानना सुखकर प्रतीत होता है और महिलाओ का सिर गर्व से ऊँचा उठ जाता है……………सर्जना जी आप बहुत बढिया कार्य कर रही हैं ऐसी महिलाओ के बारे मे लेख लिखकर ………………अब आगे का इंतज़ार रहेगा।

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  4. निर्मला जी प्रभादेवी का व्यक्तित्तव बहुत अच्छा है आपको पढ़ने में अच्छा लगा धन्यवाद

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  5. बाकलीवाल जी धन्यवाद लोक महाभारत में बहुत सी ऐसी बाते हैं जो हमें पता ही नहीं है हर जाति जनजाति और समुदाय ने इसे अपने अनुसार ढ़ाला है । अभी बहुत से रोचक प्रसंग आपको पढ़ने को मिलेंगें ।

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  6. वंदना जी धन्यवाद अगली कड़ी में हिमाचल की गद्दी जनजाति की कंचन से आप मिलेंगी . इन महिलाओं के पास किसी युनिवर्सिटी की दिग्री नहीं है लेकिन इनकी कला का कोई सानी नहीं है

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  7. लोक कलाओं में अद्भूत रस है।
    16 फ़रवरी को मैने लता विश्वकर्मा का पंडवानी गायन सुना।

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  8. ललित जी आप ठीक कह रहे हैं मैनें लता जी को कभी नहीं सुना आप उनके बारे में लिखें तो कुछ नयी जानकारी मिलेगी

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  9. ललित जी रसबतिया में आपका स्वागत है . रस भरी बातों का रसिक बनने के लिए धन्यवाद

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  10. आपकी रचनात्मक ,खूबसूरत और भावमयी
    प्रस्तुति भी कल के चर्चा मंच का आकर्षण बनी है
    कल (24-2-2011) के चर्चा मंच पर अपनी पोस्ट
    देखियेगा और अपने विचारों से चर्चामंच पर आकर
    अवगत कराइयेगा और हमारा हौसला बढाइयेगा।

    http://charchamanch.blogspot.com/

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  11. वंदना जी चर्चा मंच पर लाने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद मैं अकसर च्रर्चा मंच पर विचरण कर लेती हूं और आपकी पसंद की ब्लॉग देख लेती हूं । कल दोपहर बाद आपको फीड बैक दूंगीं

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  12. प्रवीण जी धन्यवाद लगता है इस बार आपने देर से पढ़ा वरना तो आप त्वरित प्रतिक्रिया देते हैं

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  13. सुन्दर एवं प्रेरक जानकारियों से परिपूर्ण लेख पढ़कर बहुत अच्छा लगा.|

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  14. सुरेंद्र जी धन्यवाद प्रभा देवी से मिल कर जो महसूस किया बस उसे शब्दों में ढ़ाला

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  15. प्रभादेवी के बारे जानकर अच्छा लगा.

    आपसे मुलाकात के यादगार पल सहेजे हुए हैं.

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  16. समीर जी धन्यवाद हमारी लोक धरोहर ऐसे ही लोक कलाकार सहेजे हुए हैं । आपसे मिलना हमें भी बहुत अच्छा लगा । आपकी प्रतिक्रियाओं का भविष्य़ में भी इंतज़ार रहेगा

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