बुधवार, फ़रवरी 2

माघ की महिमा...सर्जना शर्मा



विक्रमी संवत का ग्यारहवां  महीना माघ चल रहा है । क्या आप जानते हैं ये महीना शरीर को कैलशियम , विटामिन डी और आयरन  से पोषित करने का महीना है । इस महीने में सभी  त्यौहार तिल , गुड़ से मनाए जाते हैं । उड़द की दाल की खिचड़ी खायी जाती है और पवित्र नदियो में स्नान किया जाता है । सभी  देवी देवताओं की तिल और तिल से बने व्यंजनों से पूजा होती है । तिल कुटा चतुर्थी , षटतिला एकादशी , मौनी अमावस्या और इसी महीने में होती है। भुवनभास्कर  सूर्य देव की रथ सप्तमी । इसी महीने में ऋतुराज वसंत का आगमन होता है ।

माघ महीना आरंभ होने से पहले सूर्य दक्षिणायन से उत्तरायण होता है । यानि धरती के समीप आ जाता है , वेदों पुराणों में मकर संक्रांति को  देवताओं की सुबह  कहा गया है । और इसके बाद से देवताओं का दिन आरंभ हो जाता है । उत्तरायण सूर्य अपने साथ नयी उर्जा लेकर आता है । प्रकृति और मनुष्यों में नव चेतना का संचार करता है । माघ महीने के सूर्य की किरणों में अगर  दस बजे से पहले बीस मिनट बैठ लिया जाए तो शरीर को भरपूर विटामिन डी  मिलता है । हमारे ऋषि मुनियों ने मौसम के अनुसार सारे व्रत , त्यौहार और स्नान पर्व रखे ।

माघ महीने में ब्रह्मुहुर्त में नदियों और सरोवरों में स्नान की हमारी चिर परंपरा है । ये स्नान हमारी सेहत से जुड़े हैं । माघ में तिल खाने का नियम इसलिए है कि तिल से शरीर को दूध से तीन गुणा ज्यादा  कैलशियम मिलता है । और कैलशियम शरीर में तभी खप सकता है जब हम साथ में विटामिन डी भी लें । विटामिन डी का प्राकृतिक स्त्रोत है सूर्य है  । सूर्य में तीन अलट्रा वायलेट किरणें होती हैं --- ए बी और सी । एल्ट्रा वायलेट बी किरणें विटामिन डी को ऑबजर्व करती हैं । अगर हम सूती कपड़े पहन लेते हैं तो सूती कपड़ा सूर्य की किरणों के विटामिन डी को ब्लॉक कर देगा । इसलिए हमारे ज्ञानी ध्यानी ऋषि मुनियों ने नदियो में स्नान की परंपरा रखी । नदी में स्नान करने जायेंगें तो कम से कम कपड़े पहन कर नहाएंगें । सूर्य की किरणें नदी के पानी को स्टरलाइज़ कर देती हैं और हमारे शरीर को विटामिन डी देती है । और इस  महीने में हम तिल कुट, रेवड़ी गजज्क , उड़द की दाल की खिचड़ी भी खाते हैं ।

भारतीय पर्व और त्यौहारों पर पश्चिम का विज्ञान   भी शोध कर रहा है । उसके जो परिणाम  सामने  आ रहे  हैं तो पता चल रहा है कि हमारे सभी  त्यौहार सेहत का खजाना है । माघ महीने में अगर हम पूरे नियमों का पालन करें और नियमानुसार खान पान रखें   तो पूरे साल का विटामिन डी , कैलशियम और आयरन हमारे शरीर में संचित हो जाएगा । और हां एक बात का ध्यान ज़रूर रखें कि सुबह दस बजे से पहले ही धूप का सेवन करें उसके बाद नहीं । योग विधा में विटामिन डी लेने का सबसे अच्छा  आसन  है सूर्य नमस्कार । और इस आसन में पूरे बीस मिनट लगते हैं यानि जितनी देर हमारे शरीर को विटामिन डी चाहिए बिल्कुल उतना  ही समय ।

दिल्ली के जाने माने  कोर्डियोलोजिस्ट हैं पद्म श्री  डॉक्टर के के अग्रवाल । उन्होनें एक किताब लिखी  है एलोवेद यानि एलोपैथिक और आयुर्वेद । उन्होनें इस पर  गहन शोध किया मरीज़ो पर आजमाया ,
उन्होनें पूरब और पश्चिम की चिकित्सा पद्धति का गजब फ्यूज़न किया है । और इसके परिणाम भी बहुत अच्छे आए हैं । उनसे इन सब विषयों पर अकसर बातचीत होती है । और धर्म और विज्ञान को मिला कर जब हम देखते हैं तो पातें हैं कि सनातन परंपरा स्वस्थ तरीके से  जीने की एक शैली है रूढ़ियों के दायरे में बंधा धर्म नहीं । आप को भी अब अगर कोई कहे कि क्या है माघ स्नान फालतू की बात तो आप उसे तर्क दे कर समझा सकते हैं कि ये एक स्वस्थ जीवन शैली है जिसे हमारे ऋषिमुनियों ने धर्म के दायरे में बांध दिया ताकि एक साधारण व्यक्ति भी सेहत का खजाना पा सके ।

12 टिप्‍पणियां:

  1. आपकी रचनात्मक ,खूबसूरत और भावमयी
    प्रस्तुति भी कल के चर्चा मंच का आकर्षण बनी है
    कल (3/2/2011) के चर्चा मंच पर अपनी पोस्ट
    देखियेगा और अपने विचारों से चर्चामंच पर आकर
    अवगत कराइयेगा और हमारा हौसला बढाइयेगा।
    http://charchamanch.uchcharan.com

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  2. बहुत अच्छी जानकारी दी |

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  3. बहुत सुन्दर चित्रमय महत्वपूर्ण जानकारी के लिए आभार

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  4. वंदना जी ,
    चर्चा मंच पर मेरी पोस्ट लेने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद
    मैं चर्चा मंच पर आकर अन्य ब्लॉग्स भी पढ़ूंगी । मेरे जैसे नए ब्लॉगर को इससे प्रोत्साहन मिलता है ।

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  5. सर्जना जी आपका यह आलेख जानकारी से भरपूर है | बहुत बहुत बधाई

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  6. Ras aur gyan se bharpoor atisunder jankari.Dher si badhai aur subhkamanaye.

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  7. बहुत अच्छी उपयोगी जानकारी दी है ...
    आभार !

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  8. नाम आपके ब्लॉग का पसंद आया -
    पोस्ट भी ज्ञानवर्धक है -
    हमारी संस्कृति की बातें बता रही है -
    बहुत अच्छा लगा पढ़ कर -
    बधाई .

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  9. सुंदर ...ऐसी पोस्ट अपनी जड़ों की ओर जाने की याद दिलाती है.....

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  10. माघ की महिमा पढ़ कर अच्छा लगा.. लेकिन जैसे जैसे संस्कार बिखर रहे हैं.. माघ की महिमा भी लुप्त हो जाएगी..

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  11. परंपरा में छुपें है सेहत के राज..

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