मंगलवार, जुलाई 8

Sarjana Sharama Timeline Recent Status Photo / Video Place Life Event Status Photo / Video Place Life Event Sarjana Sharama 49 minutes ago · Edited माता पिता की सेवा में अपार शक्ति - भगवान भी युगों से खड़े हैं भक्त की प्रतीक्षा में -------------------------------------------------------------------------------------------- एक बहुत प्राचीन पौराणिक कथा है कि बुदधिमान गणेश ने अपने माता पिता शंकर की परिक्रमा करके कह दिया था कि उन्होनें पूरी दुनिया का चक्कर लगा लिया क्योंकि उनके लिए माता पिता ही पूरी दुनिया हैं... See More LikeLike · · Promote · Share Sarjana Sharama 2 hours ago · Edited महिलाओं को आज़ादी , कितनी हद तक --------------------------------------------------- ज़ी टीवी के " ज़िदंगी " चैनल पर आजकल पिछले कुछ दिन से एक सीरियल देख रही हूं -- ज़िदंगी गुलज़ार है ---- मेरी बहन देखती है तो उसके के कारण मैं भी देखने लगी । बहुत ही बढ़िया सीरियल है । पाकिस्तानी सीरियल मैं पहले भी बहुत देखती थी 90 के दशक में वीसीआर पर बाज़ार से पाकिस्तानी सीरियलों के कैसेट मिलते थे । धूप किनारे मेरा सबसे पसंदीदी सीरियल था । बहुत इमोशनल कहानियां , पात्र बहुत अच्छे । महिला किरदारों के सूट और बाकी की dresses देख कर ही मन खुश हो जाता है । इतने खुशनुमा रंग और डिज़ाईन । खैर अब 21 वीं सदी में ज़िदगी चैनल ने फिर से पाकिस्तानी समाज में झांकने का मौका दिया है । पाकिस्तान की जो तस्वीर हमारे मन में है ये सीरियल उसे तोड़ता है । वहां का आधुनिक समाज हमारे समाज से मिलता जुलता है । तीन मेहनतकश संस्कारी बहनों और उनकी मां के आसपास घूमती हैं कहानी में दो परिवार ऐसे भी हैं जिनकी बेटियां बहुत आधुनिक होने के साथ साथ अपनी शर्तों पर जीवन जीती हैं . सीरियल का नायक ज़ारून इन दोनों किरदारों से परेशान है . एक किरदार उसकी अपनी बहन है जो शादीशुदा होने के बाबजूद अपने पुरूष मित्रों के साथ कहीं भी कभी भी और किसी समय भी चली जाती है । जा़रून की बहन को उसकी मां की पूरी पूरी शै है । और दूसरा किरदार उसकी अपनी महिला मित्र है जो अब उसकी मंगेतर बन चुकी है । वो उसके लाइफ स्टाईल से बेहद परेशान है । यहां तक कि अपनी मां के लाईफ स्टाइल से भी वो खुश नहीं है । बहन जो कि तलाक लेने पर उतारू है उसे बहुत समझाता है कि वो अपने पति की बात माने । और अपनी मंगेतर को भी साफ शब्दों में कहता है कि वो इस तरह से उसकी जानकारी के बैगर कहीं भी मुंह उठा कर ना चल दे। यहां तक की साफ भी कर देता है कि इन हालात में शादी करना मुमकिन नहीं होगा । ज़ारून पढ़ा लिखा है और उंचे ओहदे पर बैठा सरकारी अफसर है । ज़िदंगी गुलजा़र है --- के ज़ारून की जो चिंता है उसे सीरियल के निर्माता निर्देशक ने बहुत सुंदरता के साथ बहुत नफीस तरीके पेश किया है और बहुत से सवाल हमारे सामने छोड़े हैं । क्या महिलाओं की आजा़दी का मतलब केवल इतना है कि स्वच्छदंता के साथ कहीं भी मुंह उठा कर किसी के भी साथ देर सबेर चल दो । देर रात तक घर से बाहर रहो । ये पाकिस्तानी समाज की ही नहीं हमारे समाज की भी समस्या है । - this is my life , i am 21st century women . i will live life on my terms and conditions . ये जुमले आप आजकल ज्यादातर महिलाओं के मुंह से सुन सकते हो । इसी सीरियल में एक और किरदार है कशफ मुर्तजा जिसके पिता ने केवल इसलिए दूसरी शादी कर ली कि वो तीन बहनें थीं । लेकिन तीनों बहनों को उनकी मां ऊंची तालीम देती है . कशफ भी हमारे आईएएस अफसर के बराबर सरकारी अफसर बन जाती है लेकिन जीवन के कायदे कानून नहीं भूलती । कॉ़लेज के दिनों में भी और बड़ी अफसर बनने के बाद भी । जारून और कशफ की आर्थिक हैसियत में बहुत अंतर है लेकिन ज़ारून को शादी के लिए कशफ जैसी लड़की चाहिए । मैं ज़ारून की चिंता से , सरोकारों से हमदर्दी रखती हूं और बहुत हद तक सहमत भी हूं । देर रात तक घर से बाहर गैरों के साथ घूमने को यदि महिलाओं की आज़ादी माना जाए तो शायद आजा़दी का पैमाना ही ग़लत है । पढना लिखना ज़हीन बनना और स्वच्छंद होना दो अलग बातें हैं । हम महिलाएं ये क्यों सोचती हैं कि बिल्कुल मर्दों जैसा लाइफस्टाइल अपना कर हम आधुनिक हो जायेंगें या बराबरी का दर्जा मिल जाएगा । आधुनिकता विचारों में होनी चाहिए । हमें अपने परिवार के बेटों को बेटियों से बेहतर होने का गुमान मन में नहीं पालने देने चाहिए । जब समाज के नज़रिए में परिवर्तन आएगा तो महिलाओं के हालात खुद बखुद बेहतर हो जाएंगें । ज़िदंगी गुलज़ार है केवल पाकिस्तान के उच्च और और उच्च मध्यम वर्ग की समस्याओं का आइना नहीं है हमारे समाज में अनेक परिवार इसी तरह की समस्याओं से जूझ रहे हैं । और यही कारण है कि परिवार टूट रहे हैं । मेरी बहन वकील है और out of court settlement के मामलों में mediation करती हैं । कईं बार घर आ कर सिरदर्द की गोली खाती हैं । मेरी बहन और अन्य महिला वकीलों का अनुभव है कि 80 फीसदी मेटरीमोनियल मामलों में लड़की और उसके माता पिता विशेषकर मां की भूमिका बहुत खराब है । और दहेज विरोधी कानून की आड़ में मनमानी करती हैं । हां कुछ मामले बहुत गंभीर किस्म के हैं जिनमें लड़की और उसका परिवार भुक्त भोगी है । सुखी खुशहाल परिवार की नींव परिवार के सभी सदस्य मिल कर रखते हैं ।

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें