रविवार, जून 26

गुरूओं "का माया जाल
कबीर ने गुरू की जो व्याख्या की है वैसे गुरू आजकल देखने को नहीं मिलते गोविंद से मिला देने वाले गुरू । हरि के रूठने पर ठौर दने वाले गुरू अब बिरले भाग्यवान लोगों को ही मिल पाते होंगें । तीन चार दिन पहले एक तपस्वी जी का फोन आया , उच्च शिक्षित धर्म और आध्यात्म को समर्पित उन्होनें पूछा --- आप फलां स्वामी को जानती हैं । मैनें कहा जानती ही नही बहुत अच्छे से जानती हूं ।
लेकिन आपको उनसे क्या काम पड़ गया ?
वो कुछ सकुचा रहे थे । उन्होने कहा मुझे कोई काम नहीं लेकिन मेरा परिचित एक परिवार है उन्होनें पूछा है , क्योंकि वो स्वामी जी उन्हें दीक्षा देना चाहते हैं ।
ज़ी न्यूज़ में धार्मिक, आध्यात्मिक ,सांस्कृति कार्यक्रम बनाते हुए बहुत से साधु- संतों , योगियों , मुनियों , ज्योतिषियों और योगाचार्यों से मिलना जुलना रहता था । धर्म की दुनिया में बहुत छल कपट है । झूठ फरेब है । जिन स्वामी जी के बारे में उन्होने पूछा था उन तथाकथित स्वामी जी ने साधुओं का outfit ज़रूर पहन लिया लेकिन ज्ञान बिल्कुल नहीं है । ना शास्त्र का ज्ञान है ना धर्म का । मुझसे उनका निरंतर अनुरोध रहता था कि उन्हें अपने कार्यक्रम में लाईव बैठा लूं लेकिन सीधे लाइव में बैठाने से पहले एक बार उनसे कैमरे पर बातचीत करना ज़रूरी था ।
एक साधारण से मंत्र में संपुट लगा कर उनसे बोलने का कहा लेकिन यकीन मानिए चार घंटे लग गए एक मंत्र की रिकॉर्डिंग करने में । रिटेक रिटेक करते गए । योग्यता की पोल खुल गयी ।
और अनेक चैनलों पर ये बैठे नज़र आते हैं । इन्होनें कई पैसे वाले लोगों को अपने जाल में फंसाया उनमें से एक आधे ने बाद में इन पर मुकद्मा भी किया ।
तपस्वी जी का मैं बहुत सम्मान करती हूं । उन्हें सच बताना मेरा नैतिक धर्म भी था । मैनें उन्हें सच्चाई बतायी । और पूछा जो दीक्षा लेना चाहते हैं क्या वो अमीर हैं । तपस्वी जी ने बताया कि उद्योगपति हैं । पता नहीं लोग कैसे कैसे लोगों के जाल में फंस जाते हैं । और धर्म के नाम पर लोगों को बेवकूफ बनाने वालों और बेवकूफ बनने वालों की कोई कमी नहीं है ।

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