सात फेरे -- बंधन सात जन्मों का -- आज भी सच है -- मेरे स्वर्गीय बीजी पापा को समर्पित
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    सनातन परंपरा में विवाह बहुत पवित्र बंधन है । कहते हैं विवाह के सात फेरे सात जन्मों का बंधन होता है । पता नहीं कितने लोग इस बात में यकीन रखते हैं लेकिन मैं ज़रूर रखती हूं । और वो भी अपने पापा और बीजी के संबंधों के आधार पर । मेरे पापा और मेरी बीजी नार्थ पोल और साऊथ पोल थे । मेरे पापा बहुत निडर, बहादुर, सत्यवादी ईमानदार और स्पष्ट वक्ता .। जो सच और सही हो उस पर टिके रहना और किसी भी हालात मे पाला ना बदलना । और मेरी बीजी एकदम सीदीसादी बहुत भावुक त्यागमयी सबको प्यार करने वाली . सबके चेहरे पर मुस्कान देखना चाहती थी । कभी किसी को नाराज़ नहीं करना चाहती थी ।। दोनों का स्वभाव कहीं मेल नहीं खाता था लेकिन फिर भी दोनों में गजब का रिश्ता था । कईं बार तो मेरी अपनी बीजी से लड़ाई हो जाती कि आप इस ज़माने की सती अनुसुईया हो । तो वो कहती हां हूं और मरते दम तक रहूंगी । मेरे पापा के बड़े भरे पूरे परिवार की मेरी मां ने तन मन से सेवा की यहां तक कि अपनी सेहत की कीमत पर भी । हम अपनी बीजी को बहुत कमज़ोर दिल का समझते थे । लेकिन जब कभी वक्त पड़ा तो मैनें उनसे मज़बूत किसी को नहीं पाया । मेरे पापा को व्यापार में घाटा हुआ तो वो मेरे पापा की शक्ति बन कर साथ रहीं । कभी कोई डिमांड नहीं कभी कोई शिकायत नहीं बल्कि कोशिश करती कि जब मेरे पापा घर आएं तो सब ठीक ठाक होना चाहिए । गरीबी के वोदिन मेरी मां ने बहुत धैर्य औक संयम से निकाले हमारी पढ़ाई नहीं छूटने दी । कईं बार ऐसा हुआ कि घर में एक समय का खाना है तो दूसरे समय कानहीं हम कॉलेज से आते को हमें खिला देंती कहतीं मुझे आज भूख लगी थी मैनें जल्दी खा लिया । लेकिन बाद में पतचा चलता वो तो भूखी रह गयीं पूरा दिन। पहली बार मेरे पापा को दिल का दौरा पड़ा तो मैं दिल्ली मैं नौकरी कर रही थी । जब मैं चंड़ीगढ़ के पीजीआई अस्पताल पहुंची तो मुझे लगा मेरी संवेदनशील नरमदिल मां बहुत रो रही होगी लेकिन उस दिन मैनें अपनी बीजी का वो रूप देखा जो पहले कभी नहीं देखा था । आंख में एक आसूं नहीं . मैं रो पड़ी तो उन्होनें मुझे गले से लगा लिया और समझाया रोना नहीं मैं हूं अब हिम्मत से अपने पापा की सेवा करो घर संभालो मैं तब तक घर नहीं जाऊंगी जब तक तुम्हारे पापा ठीक नहीं हो जाते । दिवाली का अवसर था । सर्दियों के दिन थे । मेरी बीजी 21 दिन अस्पताल में मज़बूती से डटी रहीं । हांलांकि हमारे पड़ोसी परिवार जैसे ही थे । सबने हमारा ध्यान रखा रोज़ अस्पताल भी जाते । पड़ोसी बहुत कहते आप घर जाओ आराम करो हम अस्पताल में रहेंगें लेकिन नहीं मानी । परिवार के लोग भी आए उन्होने भी बहुत समझाया लेकिन नहीं मानी । उस दिन से मेरे मन में उनके लिए धारणा बदल गयी । लेकिन मेरे पापा को एक बार दिल का दौरा क्या पड़ा कि और भी बहुत से रोग लग गए .। शुगर भी हो गयी । पापा बहुत ज्यादा बीमार रहने लगे तो हम उन्हें अपने पास ले आए । उन्हें दिल्ली लाने का फैसला मेरी छोटी बहन के पति का था । अगर वो ना चाहते तो ऐसा होना संभव नहीं था । उन्होनें एक बेटे से बढ़ कर मेरे मां पापा के लिए फर्ज़ निभाया ।
    खैर उनके बारे में जितना लिखूं उतना कम है असली मुद्दे पर आती हूं । सन् 2005 में दिसंबर के अंतिम सप्ताह में मेरे पापा हमें सदा सदा के लिए छोड़ कर चले गए । तब भी मुझे लगा था कि बीजी को संभालना मुश्किल होगा उन्होनें अभूत पूर्व साहस का परिचय दिया । ना ज्यादा रोयीं ना विलाप किए । हम दोनों बहनों को अपने अगल बगल बिठा कर रखतीं . हम दोनों रो रो कर बेहाल थे लेकिन उन्होनें जैसे अपने दिल पर पत्थर रख लिय़ा था । दिल में बहुत दुखी रही होंगी लेकिन हमारे सामने हिम्मत से रहती थीं । पापा के जाने के बाद मेरा और बीजी का बेड़रूम एक हो गया मैं उनके साथ सोने लगी ।
    पापा के जाने के एक दो महीने बाद वो लगभग रात को तीन बजे के करीब उठ कर बठ जातीं मुझसे कहतीं दरवाज़े की घंटी बजी है । मैं उनसे कहती आपके दिल का वहम है कोई घंटी नहीं बजी . लेकिन वो अपनी बात पर कायम रहतीं - नहीं घंटी बजी है तुम्हारे पापा आए हैं । मुझे लगता उनके दिल का वहम है । लेकिन धीरे धीरे घंटी मुझे भी सुनने लगी । हमने नोएडा से दिल्ली कैंट में घर बदल लिया सिलसिला जारी रहा । अब रात को उनका बातचीत का सिलसिला शुरू हो गया ।मुझे उन्हीं की बातचीत सुनाई देती थी अपने पापा की बात तो मैं नहीं सुन सकती थी । वो अकसर बोलती -- मैं अभी आपके साथ नहीं जाऊंगी । शायद मेरे पापा उनसे कहते थे कि मेरे साथ चलो । फिर शायद वो उनसे कहते होंगें मैनें तुम्हारे घर बना लिया है । तो वो कहतीं - अपने घर में आप ही रहो मैं तो अपनी बेटी के घर में खुश हूं । शायद मेरे पापा और ज़िद करते होगें । तो उनका उत्त्तर मुझे सुनता -- किट्टू ( मेरा बड़ा भानजा ) की शादी के बाद मैं आपके साथ चलूंगी । ये वार्तालाप अकसर होता रहता । अब मैं भी समझ गयी थी मैं चुप रहती अपनी बीजी को टोकती भी नहीं थी । फिर मेरी बीजी 2009 से ज्यादा बीमार रहने लगी 2010 -11 में हमारा ज्यादा समय अस्पताल में ही निकलता । बहुत डॉक्टर बदले , अस्पताल बदले देसी वैद्य हकीम कुछ नहीं छोड़ा लेकिन उन्हें आराम नहीं आया हालत दिन पर दिन खराब होते गए । नोएडा के मैट्रो अस्पताल से उन्हें वसंतकुज के लीवर अस्पताल में लाए । यहां भी हालात बिगड़ते रहे । अंत में वेंटीलेटर लग गया ये फरवरी 2012 की बात है । 8 फरवरी को मैं बहुत थकी मांदी अस्पताल से घर आकर लेटी थी कि इतने में चिन्मय मिशन के स्वामी नवनीतानंद जी का फोन आया । नवनीतानंद जी कैलेफोर्निया युनिवर्सिटी में प्रोफेसर थे लेकिन पता नहीं क्यों उन्होने संन्यास ले लिया । बहुत विद्वान हैं योगी हैं और साधक हैं । वो मुझे हमेशा अम्मा कह कर बुलाते हैं और मुझसे बहुत स्नेह रखते हैं घर भी आते हैं । मुझे अकसर कहते हैं -- अम्मा भक्ति बहुत हो गयी अब साधना के पथ पर आ जाओ। खैर 8 फरवरी को स्वामी जी ने फोन किया और कहा -- अम्मा कई दिन से तुम से बात करने का सोच रहा था मुझे लगता है तुम बहुत परेशान हो । मैने कहा-- हां स्वामी जी बीजी बहुत बीमार हैं वेंटिलेटर पर हैं । उन्होनें कहा - अब उनका समय जाने का हो चुका अभी तुरंत अस्पताल जाओ वेटिंलेटर उतरवा दो । मैं भी अस्पताल आता हूं । मैनें अपनी मित्र भारती तनेजा की मदद से स्वामी जी के लिए टैक्सी का इंतज़ाम करवाया । मेरी बहन और उसके पति अस्पताल में ही थे क्योंकि मैं आराम करने घर आयी थी । बच्चों को साथ लेकर घर से गंगा जल ,तुलसी लेकर मैं अस्पताल पहुंची स्वामी जी भी आ गए । हमने डॉक्टर से वेटीलेंटर उतारने को कहा उसने कहा लिख कर दो . हमने लिख दिया । और स्वामी जी को आईसीयू में ले जाने की परमिशन भी ली । स्वामी जी ने कहा परिवार के सब लोग इनके सामने हट जाओं क्योंकि अपने सामने खड़े हों तो आत्मा शरीर नहीं छोड़ती । स्वामी जी ने मेरी बीजी को गंगा जल पिलाया, तुलसी दल दिया और कान में तारक मंत्र सुनाया । आईसीयू से निकलने के बाद स्वामी जी बिल्कुल नहीं रूके बोले -- अम्मा मुझे जाने दो यहां मेरा रुकना ठीक नहीं है । हमारा दिल उस समय बहुत दुखी था । अनाथ होने का दुख पापा तो पहले ही चले गए बीजी भी चलीं गयीं । मैनें ज्यादा जिद नहीं की । मार्च तक स्वामी जी से कोई बात नहीं हो पायी । मार्च मैं स्वामी जी मेरे भांजें के जन्मदिन पर आशीर्वाद देने आए । तो उन्होने बताया कि उस दिन वो अस्पताल में क्यों नहीं रूके । उन्होने जो बात बतायी हम सब हैरान हो गए । उन्होने बताया -- अम्मा आपके पापा और तीन महिलाएं आपकी माता जी को लेने आए हुए थे । आपके पापा को मैं पहचानता हूं लेकिन वो तीन महिलाएं शायद आपके ही परिवार की थीं तीनों ने साड़ी पहन रखी थी ।मेरा वहां रूकना ठीक नहीं था मेरे रहते वो आपकी माता जी को अपने साथ नहीं ले जा पा रहे थे । स्वामी जी की बात सुनकर मुझे अपनी बीजी के वो सारे वार्तालाप याद आए जो वो अकसर सोते समय मेरे पापा से करती थीं । मैनें स्वामी जी को पूरी बात बतायी । उन्होनें कहा - आपके पापा आपकी माता जी का ही इंतज़ार कर रहे थे अब उनकी गति होगी । स्वामी जी की बात सुन कर एक बार तो अपने पापा पर बहुत गुस्सा आया कि हमारी बीजी को हमारे साथ और रहने देते तो उनका क्या जाता । लेकिन फिर सोचा हम कितने स्वार्थी हैं उनका जन्म जन्म का साथ है । वो मेरी बीजी से रोज़ मिलने आते थे एक निश्चित समय पर और रोज़ घर की घंटी बजती थी जो मैं भी सुनती थी और दोनों की बातचीत की मैं गवाह भी हूं । इसीलिए सनातन धर्म में सच कहा गया है सात फेरे सात जन्मों का बंधन । मैं भगवान से यही प्रार्थना करती हूं कि मेरे बीजी पापा जी जहां भी जिस लोक में भी हों दोनो का साथ बना रहे । और सात जन्म दोनों एक दूसरे साथ निभाएं। हम दोनों बहनें उन्हीं के घर जन्म लें ।
    ( ये पोस्ट लिखने का बहुत बार सोचा लेकिन अपने निहायत निजी अनुभव सार्वजनिक करने का मन नहीं करता था । आज हिम्मत करके लिखा । लिखते समय आंसुओं ने बहुत बार रूकावट डाली । मन भर भर कर आया बहुत महीनों के बाद आज खुल कर रोयी भी । और मुझे तो पूरा यकीन है कि सात फेरे सात जन्मों का बंधन हैं । अगर पति पत्नी पूरी तरह से एक दूसरे को समपर्ति हों )
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    Samvad Manoj shared a post to your Timeline.
    Samvad Manoj added 5 new photos — with Rakesh Tyagi and 2 others.
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    Sarjana Sharama
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    Sarjana Sharama feeling happy.
    Finally it is raining in south west delhi. Rabba rabba mih barsa😊🏂🏄
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    Mukesh Sharma Saddi kotthi daney paaaaa....wah
    Farhan Daring Khanz Khub barish hui yahan bhi... Allahamdulillah
    Vishnu Shankar Thoda Noida vi bhejo!
    Chitra Desai आज तो मुम्बई भी भीगी है
    Sarjana Sharama
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    Sarjana Sharama feeling crazy.
    Prime minister shri narendra modi and his team should consult intellectuals of face book. All policies should be decided by their consent. There are experts on face book national, international matters ,economics ,agriculture , foreign policy defence policy . They give their comments on all issues. Mr prime ministers you are getting free of cost advisors pls do consult them. Arey bhai RBI governor has done his term he is going why so much rona dhona.
    Sarjana Sharama feeling emotional.
    Father's day ..... i can not write lump in the throat and tears in my eyes.
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    Kali Maurya पिता जी को नमन दी ।
    Dhanan Jay Calm yourself. Parents do not like tears in their children eyes, regardless where they are
    Sarjana Sharama
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    Sarjana Sharama shared a memory.
    1 Year Ago
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    योग आजकल चर्चा में है । टीवी चैनलों अखबारों रेडियो सब जगह योग पर बात हो रही है लेकिन क्या योग के आसन कर लेना ही योग है ? आसन तो योग का 10 फीसदी हिस्सा है श्र...
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    Ashok Agarwal Gyanvardhak lekh
    Sarjana Sharama
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