सर्जना शर्मा
ब्लॉगर साथियों,
कड़ाके की ठंड़ पड़ रही है तापमन नीचे , सर्द हवाएं ,घना कोहरा, सर्दी है कि बला । जब आप ऐसी कड़ाके की ठंड़ को स्वयं अनुभव करते हैं तो आपका मन उन बेघरों की मदद करने को करता होगा जो ठंड में खुले आसमान के नीचे पड़े हैं । सुप्रीम कोर्ट में रैनबेसरों -- नाईट शेल्टरों पर एक एनजीओ ने जनहित याचिका दायर कर रखी है । इसी से जुड़ी एक मज़ेदार सच्ची घटना आप लोगों से शेयर करना चाहूंगी । हर व्यक्ति दुनिया को अपने चश्में से देखता है और उसके मापदंड भी अपने आर्थिक स्तर से जुड़े होते हैं, एलिट क्लास की एक उच्चपदस्थ महिला ने अपनी एक वकील दोस्त से कहा --- प्लीज़ गीव मी द लिस्ट ऑफ नाईट शेल्टर्स इन देल्ही ।
वकील दोस्त -- वट विल यू डू विद द लिस्ट ?
महिला --- इट इज़ सो कोल्ड , पुऊर पीपल शिवरिंग वीद कोल्ड Eआय विल डिस्ट्रीब्यूट सूप टू देम
अब वकील दोस्त हैरान हो गयी । उनको गरीबों की मदद का ये तरीका थोड़ा अटपटा लगा लेकिन उन्होने ज़रा मज़ा लेते हुए कहा --- वेज और नॉन वेज, विच सूप ?
महिला ने अपनी उसी अदा में गंभीरता से कहा --- कम ऑन, ऑफ कोर्स वेज सूप
अब वकील मित्र ने और चुटकी ली -- यू नो.. दे डोंन्ट लाईक सूप एंड आल, प्लीज गीव दैट सूप टू मी एंड माई फ्रैंडस , गीव देम समथिंग एल्स टू ईट.
इस समय रैन बसेरे, जीवन रक्षक दवाओं जैसे महत्वपूर्ण हैं।
जवाब देंहटाएंbahut khub
जवाब देंहटाएंबिलकुल सही कहा। गरीबों की बेबसी का मजाक उडा कर ये पैसे वाले दानी कहलाने का गौरव कब छोडेंगे? दान के नाम पर गरीबी का मजाक्! अच्छी रचना। बधाई।
जवाब देंहटाएंसर्जना जी,
जवाब देंहटाएंइसी सूप क्लास पर मैंने एक पोस्ट लिखी थी, लेट अस प्रेप्येर फॉर कैंडल मार्च...
लिंक ये रहा, पढ़िएगा, सच में आनंद आएगा...
http://www.deshnama.com/2009/11/blog-post_4396.html
जय हिंद...
सर्जनाजी,
जवाब देंहटाएंनजरिया परिवार में शामिल होने पर आपका बहुत-बहुत आभार. अभिनंदन...
इस कडाके की ठंड में खुले आसमान के नीचे रात गुजारने पर मजबूर गरीबों की व्यथा पर मेरा आलेख भी कल ही के नजरिया में 'रात-रात भर जाग-जागकर इन्तजार करते' हैं शीर्षक से कल ही प्रसारित हुआ है उम्मीद है आपने देखा भी होगा ।
फिलहाल तो शायद हम इस समस्या पर चिंतन ही कर पाने की स्थिति में हैं ।
thand me bhale hi aap un mahila ki bat par hans len kintu isse unke sewa bhav ka to pata chalta hai.jiske pas jo hoga vah vahi dene ki sochega.sochna bhi badi bat hai aur ham bharatiyon me ye bhavna jara kam hi milti hai ham apne dukhon ko sabse uper rakhkar unhi ka rona rote rahte hai.aapka dhyan us aur gaya ye bhi shayad unki daya bhav ka hi prabhav hai...
जवाब देंहटाएंI wish you Happy New 2011!
जवाब देंहटाएंनिसंदेह ।
यह एक प्रसंशनीय प्रस्तुति है ।
धन्यवाद ।
satguru-satykikhoj.blogspot.com
सर्जना जी
जवाब देंहटाएंनमस्कार !
काबिले-ता'रीफ़ है आपका सृजन !
गीव देम समथिंग एल्स टू ईट धन्य है …
~*~नव वर्ष २०११ के लिए हार्दिक मंगलकामनाएं !~*~
शुभकामनाओं सहित
- राजेन्द्र स्वर्णकार
शालिनी जी अगर आपने ध्यान से पढ़ा हो तो मैनें एक लाईन लिखी है
जवाब देंहटाएंकि हर कोई दुनिया को अपनी नज़र से ,अपने चश्मे से ,अपनी आर्थिक हैसियत से देखते हैं मैं उनके सेवा भाव की हंसी नहीं उड़ा रही हूं उनके सेवा भाव पर मुझे कोई संदेह नहीं है . लेकिन आम लोगों के लिए ये निश्तिर रूप से एक अटपटा सेवा भाव है
आपका यह लेख निश्चित रूप से सोचने को मजबूर करता है.
जवाब देंहटाएंसादर