महाशिवरात्रि पर हिमाचल प्रदेश के गद्दियों का शिव स्त्रोत---
नरेणा हो ओ ओ हां जी ------------- मथुरा गांव में थिंजड़ी होल्ली उस जगह दर्शन देल्ली हे हे नरेणा हो ओ ओ हां जी सुण दे लोक दा भला कराया , सुणा सदाशिव स्वामिया नरेणा हो ओ ओ हां जी भगवान शिव मुठ्ठियां भर भर कर यशोदा के आंगन हां जी नारायण हो ओ ओ हां जी ----- अब तो यशोदा मैय्या सुन्न हो गयीं , सोचती हैं ये कोई साधारण साधु नहीं है ये चमत्कारी , अविनाशी साधु है ओ हे हे हां जी नारायण हो ओ ओ हां जी ----- अब यशोदा मैय्या पूछती हैं ---- हे साधु ! तुम कौन देश के रहने वाले हो ? हे साधु ! तुम्हारा नाम क्या है ? हां जी नारायण हो ओ ओ हां जी ----- मैं अपने जीवन से तंग हुआ शिव भोला साधु हूं -- हां जी नारायण हो ओ ओ हां जी ----- मैं तेरे बालक के दर्शन करने आया हूं , तुमने अपने बालक को क्यों छुपा दिया है ? हां जी नारायण हो ओ ओ हां जी ----- जब तेरे बेटे ने कच्छप अवतार लिया मात यशोदा मैनें दर्शन पाए, मत्सय अवतार लिया तब दर्शन पाए, वामनरूप , नरसिंह रूप के दर्शन पाए , परशुराम , राम अवतार के दर्शन पाए अब जब कृष्ण अवतार हुआ तो , मां यशोदा तुम क्यों छुपा रही हो । हां जी नारायण हो ओ ओ हां जी ----- हां जी नारायण हो ओ ओ हां जी ----- हर की गोद में बालक बन कर हरि बैठे हैं, हां जी नारायण हो ओ ओ हां जी -----
द्वापर युग में जब भगवान विष्णु कृष्ण रूप में अवतार लेते हैं तो भगवान शिव उनके दर्शन करने कैलास पर्वत से उतर कर नंद गांव जाते हैं । भगवान के दर्शन करना चाहते हैं । ये एक लोक प्रिय प्रसंग है और हर प्रदेश में इसे अलग अलग तरीके से गाया जाता हिमाचल प्रदेश की गद्दी जनजाति भगवान शिव की अन्नय भक्त है उनके इष्ट महादेव हैं। भरमौर में भगवान शिव का एक परम धाम है जिसे भरमौर चौरासी कहते हैं। मौसादा गायक भगवान शिव की अनेक कथाएं गाते हैं । दिल्ली में इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र के निमंत्रण पर जीवंत परंपरा में महाभारत के जय उत्सव में दिल्ली आए गद्दी गुराई रोशन और गुराइंन कंचन ने ये शिव स्तोतर ना केवल हमें गा कर सुनाया बल्कि उसका अर्थ भी समझाया। महाशिव रात्रि पर आप सबके लिए विशेष पोस्ट।
भगवान शिव जब भगवान विष्णु के कृष्ण अवतार के दर्शन करने जाते हैं तो मां यशोदा डर जाती है। भगवान शिव के कैलास पर्वत से धरती पर जाने की तैयारी से गायन आरंभ होता है। गद्दी इसे शिव स्तोतर कहते हैं---
मूल शिव स्तोतर (स्त्रोत )
1) खड़ पर्वत से उतरे सदाशिव ,
चले हिण मातर लोकां ।
नरेणा हो ओ ओ हां जी --------
चरण मां पाई चणण खड़ाऊं ,
2) लक में पहणा मृगाणा ।
नरेणा हो ओ ओ हां जी --------
3) गल्ल में झोली , मुंडे पहोड़ी,
कान में कुंडल डाले हां जी
नरेणा हो ओ ओ हां जी --------
4) जटा जूट सर गंग लियो री
गल में नाग लिपटाए हां जी गल में नाग लिपटाए
नरेणा हो ओ ओ हां जी --------
5) हुक्म कराया पार्वती ज्यों ,
कर देना अमल प्याला ।
आकड़ बम बम भोले जय शिव जय शिव हां हां जय शिव
नरेणा हो ओ ओ हां जी --------
6 ) नंदी बैल दी सवारियां सदाशिव
चल हिण दर्शन पाणा ।
नरेणा हो ओ ओ हां जी --------
7 ) वारे थी मथुरा , वारे थी नंद द्वारा ,
बीच में जमना बगोरे हां जी
नरेणा हो ओ ओ हां जी --------
8) गली गली शिव अलख जगाई,
गली गली नादी बजाई
नरेणा हो ओ ओ हां जी --------
हेरि बाई हेरि बाई मात जशोदा
इत कोई साधु आया
नरेणा हो ओ ओ हां जी --------
तां बड़ी डरी सों मात जशोदा ,
बालक रैण नी देणा ---
नरेणा हो ओ ओ हां जी
सत खोड़ी परोली सत खुड़ दे दरवाजे ,
सतां ओबरी बालक छुपाया चढ़ गया सो त्रिशूला ।।
नरेणा हो ओ ओ हां जी
थाल भरे हीरे लाले ,
थाल भरे गज मोती ,
यशोदा -- ले साधुआ तीजो भिछिया दिल्ली
झोली जो तेरी दिल्ली भराई
नरेणा हो हो हां जी -----------------
शिव ---- क्या करना इनां हीरा मोती ,
क्या करना गज मोती
अलख माया मेरी झोली भरो री
सुण मेरी मात जशोदा
नरेणा हो ओ --ओ हां जी
दर्शन पाने को आया जशोदा ,
बालक क्यों छुपाया ।
नरेणा हो ओ ओ हां जी ---------
तां बड़ी डरी सो मात जशोदा
बालक रैहण नी देणा
नरेणा हो ओ ओ हां जी
हीरे लाल छन्न कराई ,
तेरा आंगन गया भराईं ।
नरेणा हो ओ ओ हां जी
सुन्ण मान होई मात जशोदा
ऐ बोलण करमाती , ऐ बोलण अविनाशी
नरेणा हो ओ ओ हां जी ------
यशोदा --- कामन देश का रहने वाला,
क्या हिण नाम तुम्हारा ।
नरेणा हो ओ ओ हां जी ------
शिव --- जीवणु से भंग होया मैं ,
नाम मेरा शिव भोल्ला ।
नरेणा हो ओ ओ हां जी ------
दर्शन पाण को आया जशोदा ,
बालक क्यों छुपाया ।
नरेणा हो ओ ओ हां जी ------
कच्छ मच्छ जब रूप्पै लिया अवतारा ,
तभी मैं दर्शन पाए जशोदा
नरेणा हो ओ ओ हां जी ------
बामन रूप लिया अवतारा ,
तब मैं दर्शन पाए जोशादा ।
नरेणा हो ओ ओ हां जी --------
नरसिंह रूप लिया अवतारा ,
तब मैं दर्शन पाए जशोदा ।
नरेणा हो ओ ओ हां जी -------
परशु राम लिया अवतारा ,
तब मैं दर्शन पाए जशोदा ।
नरेणा हो ओ ओ हां जी ------
राम रूप जब लियो अवतारा ,
तब मैं दर्शन पाए जशोदा ।
नरेणा हो ओ ओ हां जी ---------
कृष्ण रूप जब लिया अवतारा,
तां क्यों लगी छुपाना जशोदा हां
नरेणा हो ओ ओ हां जी ---------
इतनी बात जै बोले सदा शिव
खुल गए सब त्रिशूला हे हे
नरेणा हो ओ ओ हां जी ---------
अपने आप खुड़ी परोली ,
बालक बाहर जै आया
नरेणा हो ओ ओ हां जी -----------
गोद करी मेरे अंतरजामी ,
बालक गोदां ज्यों आया
नरेणा हो ओ ओ हां जी -----
तां बड़ी डरी मात जशोदा ,
बालक रहणा नी देणा ।
नरेणा हो ओ ओ हां जी ------
बालका जै मेरा नाग खाल्ला,
पर फेर जन्म मा होणा ।
नरेणा हो ओ ओ हां जी
बालक कृष्ण -- उठ साधुआ तुम्ही कर विश्रामा
जा अपने कैलासा ,
मातु जशोदा दा कहणा ना मोड़ ,
बर श्राप देल्ली हे हे ,
गद्दी शिव स्तोतर ( गद्दी ऐसे ही उच्चारण करते हैं ) सरल अर्थ
धरती पर भगवान विष्णु ने कृषणावतार लिया है और भोलेनाथ उनके दर्शन करने जा रहे हैं । भगवान शिव कैलास पर्वत से उतर कर अब मृत्यु लोक जा रहे हैं , पांवों में चंदन की खड़ाऊं पहन ली , कमर में मृग की खाल पहन ली ।
हां जी नारायण हो ओ ओ हां जी -----------
गले में झोली डाल ली , कंधे पर साधुओं वाली छड़ी रख ली ,
कानों में कुंडल पहन लिए हे हे हां जी ---------
हां जी नारायण हो ओ ओ हां जी ---------- हां जी नारायण हो ओ ओ हां जी ----------
बालों का जटा जूट बना हुआ है , सर पर गंगा जी है ,
गले में नाग लिपटाए हुए हैं हे हे हांजी
पार्वती को हुक्म दिया कि अमल ( भांग ) प्याला बना दो ,
भोले मे भांग चढ़ाई और मस्त हो कर बोले -- बम ,बम
जय शिव ,जय शिव हां हां जय शिव ----
हां जी नारायण हो ओ ओ हां जी ----------
नंदी बैल पर बैठ कर उसे पुचकारा और निकल पड़े दर्शन को,
हां जी नारायण हो ओ ओ हां जी ----------
भोले धरती पर पहुंचे ,सुंदर यमुना जी बह रही थी ,
यमुना के एक किनारे पर मथुरा और दूसरे किनारे नंदगांव
हां जी नारायण हो ओ ओ हां जी ----------
अब भोले नाथ नंद गांव पहुंच गए हैं आगे देखिए क्या होता है ----
शिवजी ने गली गली में अलख निरंजन की पुकार लगायी ,
गली गली में अपना डमरू बजाया
हां जी नारायण हो ओ ओ हां जी ----------
भोले नाथ की हुंकार सुन कर पूरे गांव में शोर मच गया कि कोई विकट साधु आया है । यशोदा माता को भी पता चला कि कोई भंयकंर दिखने वाला गले में नाग लिपटाए साधु नंदगांव आया है
यशोदा माता बार बार गली में देखने जाती है ,
जिसका इतना शोर है कौन है वो साधु ।
हां जी नारायण हो ओ ओ हां जी ----------
साधु का विकट रूप देख कर माता यशोदा डर गयीं
मन ही मन सोचती हैं ये साधु मेरे बालक को ना ले जाए
हां जी नारायण हो ओ ओ हां जी ----- यशोदा माता ने सातों द्वार ,सभी खिड़कियां बंद कर दीं ,
और बालक को सात कोठरियों के भी पीछे छुपा दिया
और सब जगह ताले लगा दिए हे हे
हां जी नारायण हो ओ ओ हां जी -----
साधु आ कर माता यशोदा के द्वार पर खड़ा हो जाता है ,
और कहता है अपने बालक के दर्शन कराओं
भयभीत माता यशोदा हीरे मोती और गजमुक्ता के
थाल भर कर लाती हैं कहती हैं ----
लाओ साधु अपनी झोली पसारो ,
मैं तुम्हारी झोली हीरे मोतियों की
भिक्षा से भर दूंगी --- हे हे ----
हां जी नारायण हो ओ ओ हां जी -----
अब भगवान शिव यशोदा को क्या जवाब देते हैं सुनिए -----
मुझे इन हीरे मोती और गज मोतियों का क्या करना है ,
सुनो मेरी मात यशोदा मेरी झोली
अपने बेटे के दर्शन से भर दो हे हे ------
हां जी नारायण हो ओ ओ हां जी -----
मात यशोदा मैं तेरे बालक के दर्शन करने आया हूं
तूने बालक को क्यों छुपा दिया है -- हां जी हां हां ---
हां जी नारायण हो ओ ओ हां जी -----
अब तो माता यशोदा का संदेह यकीन में बदल गया,
वो सोचती हैं ये साधु मेरे बच्चे को ले जाएगा हे , हे
हां जी नारायण हो ओ ओ हां जी -----
भगवान शिव अंतर्यामी है तीन लोक के स्वामी हैं
यशोदा के मन की बात जान रहे हैं लेकिन अपना रूप प्रकट नहीं
कर रहे हैं . अब वो क्या करते हैं सुनिए ---
यशोदा के हाथों में हीरे मोती गज मोती थाल हैं
में बिखेरते जाते हैं और कहते हैं ये तुम्हारे लाल पर न्यौछावर हैं
अब सुनिए भगवान शिव यशोदा को क्या जवाब देते हैं ---
यशोदा मैय्या जानती ही नहीं कि उसका बेटा भगवान है और ना ही ये जानती है
कि सामने खड़ा साधु तीनों लोकों का नाथ है देवों का भी देव है । वो अपने बेटे को इस विकट साधु की छाया से बी बचाना चाहती हैं । लेकिन सात तालों में बंद नवजात शिशु जानता है कि आदि देव महादेव उनके दर्शन करने आए हैं । अब भगवान विष्णु नहीं चाहते कि उनकी मां यशोदा ज्यादा परेशान ना हो । अब आगे की कहानी सुनिए -------
जब शिवजी ने विष्णु अवतारों का वर्णन किया तो ,
सारे ताले टूट गए , सारे दरवाज़े खुल गए ,
बालक कृष्ण बाहर आता है, शिव उसे गोद ले लेते हैं ,
अंजान यशोदा मां और ज्यादा डर जाती हैं .
सोचती हैं अब तो ये मेरे बच्चे को ले ही जाएगा
हां जी नारायण हो ओ ओ हां जी -----
अगर साधु के नाग ने मेरे बच्चे को
डस लिया बस फिर तो ये जिवित नहीं रहेगा ,
दोनों में मूक संवाद चल रहा हैं एक जगत का पालनहार है तो दूसरा कल्याण करने वाला तीनों लोकों का स्वामी है ,लेकिन यशोदा एक साधारण महिला है । एक आम ममतामयी मां है जो अपने बच्चों को अपनी जान से ज्यादा प्यार करती है । हरि और हर यशोदा मां के मन की दशा जानते हैं । अब विष्णु जी शंकर जी से मूक संवाद में क्या कहते हैं सुनिए --------
उठ साधु अब तू विश्राम कर यानि बस अब अपनी लीला समाप्त कर ,
अब तू अपने कैलास पर्वत को लौट जा ,मेरी मां यशोदा का कहना मान ,
वरना मात यशोदा कहीं तुम्हें श्राप ना दे दे -- हे हे
हां जी नारायण हो ओ ओ हां जी -----
अब तुम कैलास जाओ , मैं तुम्हे मथुरा में दर्शन दूंगा
जब मैं अपने मामा कंस का वध करूंगा तब मेरे दर्शन करना ।
जो भी भगवान शिव के इस स्तोतर को सुनेगा
उसका भला होगा , हे मेरे सदाशिव स्वामी उसका भला होगा ।
सत्यम शिवम् सुन्दरम !!!
जवाब देंहटाएंक्या मनमोहक प्रस्तुति है ! लोक रंग में रंगी -प्रेम में पगी -भक्ति में सनी -कितनी बनी ठनी....
जवाब देंहटाएंआनंद आ गया......
कलाकारों का परिचय पिछली पोस्ट में देने के बाद, विस्तृत व सुन्दर प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंआपकी रचनात्मक ,खूबसूरत और भावमयी
जवाब देंहटाएंप्रस्तुति भी कल के चर्चा मंच का आकर्षण बनी है
कल (2-3-2011) के चर्चा मंच पर अपनी पोस्ट
देखियेगा और अपने विचारों से चर्चामंच पर आकर
अवगत कराइयेगा और हमारा हौसला बढाइयेगा।
http://charchamanch.blogspot.com/
सतीश जी , सुरेंद्र जी , प्रवीण जी बहुत बहुत धन्यवाद . लोकमानस की स्मृति में रची बसी ये श्रुतियां हमारी अनमोल धरोहर हैं जो हमारी संस्कृति को अनेय संस्कृतियों से अलग बनाती हैं
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर प्रस्तुति|
जवाब देंहटाएंमहाशिवरात्री की हार्दिक शुभकामनाएँ|
लोक कल्याण की मंगलकारी, सार्थक प्रस्तुति.
जवाब देंहटाएंवंदना जी शिव स्तोतर को पसंद करने के लिए और चर्चा मंच पर लाने के लिए धन्यवाद
जवाब देंहटाएंचर्चा मंच पर आपने लिखा नास्तिक को......सर्जना जी नास्तिक क्या है उसमें भी तो आस्तिक छुपा है-- न आस्तिक
जवाब देंहटाएंआदरणीय भवानी प्रसाद मिश्र ने लिखा था
आराम शब्द में राम छिपा जो भव बन्धन को खोता है
आराम शब्द का ज्ञाता तो विरला योगी होता है
Sarjana Ji,
जवाब देंहटाएंsunder lekh ke liye badhaai
Kai aise bhajan hain jo humne nahin sune, bharat ke kone kone mein har jagah log shiv mahima gaate hain.
Surinder Ratti
Mumbai
बहुत ही सुंदर शिव आराधना, लोक संस्कृति से इतना सुंदर परिचय कराया कि मंत्रमुग्ध हो गया. पिछली पोस्ट भी फ़ुरसत निकाल कर पढनी ही पडेगी. पंडवानी गायिकी वाली पोस्ट तो कमाल की लिखी है आपने, बहुत शुभकामनाएं.
जवाब देंहटाएंरामराम.
बहुत ही सुन्दर शिवगाथा
जवाब देंहटाएंलोक शैली में इसे मनमोहक ढंग से प्रस्तुत किया है आपने.
सलाम.
इस शिव स्तोतर का श्रेय हिमाचल की गद्दी जनजाति को है जो सदियों से पीढ़ी दर पीढ़ी ये गाते आ रहे हैं मैंनें तो उनसे सुन कर बस आप सब तक पहुंचाया मैं केवल माध्यम हूं
जवाब देंहटाएंसर्जनाजी 'सत्यम शिवम सुन्दरम' के भाव से प्रेरित कमाल की पोस्ट सर्जन की है आपने .आपका बहुत बहुत आभार .क्या आपने मेरे ब्लॉग 'मनसा वाचा कर्मणा'को बिलकुल ही भुला दिया है ?मेरी सभी पोस्ट पर आपका बेकरारी से इन्तजार है .वर्ना आगे से पोस्ट लिखना बंद .
जवाब देंहटाएंभक्ति-प्रेम में डूबी सुन्दर रचना के लिए साधुवाद...
जवाब देंहटाएंलोक कल्याण भक्ति-प्रेम में डूबी मंगलकारी प्रस्तुति.
जवाब देंहटाएंमहाशिवरात्री की हार्दिक शुभकामनाएँ|