रविवार, सितंबर 11

गणपति उत्सव...पति का सवाल पत्नी से...सर्जना शर्मा

मुंबई में गणेश उत्सव की धूमधाम के बीच एक पति ने पत्नी से कहा...




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काश मैं भी गणपति होता...फिर तुम मुझे बैठाकर कैसी खातिरदारी करती...दिन रात पूजा करती...तरह तरह के मोदकों का भोग लगवाती...

पत्नी...वाकई कितना अच्छा होता, मेरे लिए भी....हर साल नया पति...फिर विसर्जन...

20 टिप्‍पणियां:

  1. वाह..क्या खूब ...कटाक्ष किया है...

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  2. बहुत अच्छा!
    यह नहीं कहा कि 10 दिन बाद विसर्जित कर देती!

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  3. ha ha ha ...bibiyaan hoti hi bahut samjhdaar hain .ha ha ha .

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  4. अच्छा जी,
    बेचारे! पति देव, विसर्जन का ख्याल ही नहीं किया.
    वैसे,सर्जन होने पर उन्हें भी कहीं और स्थान मिलता
    ही रहता,सर्जना जी.

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  5. हा..हा..हा..! अच्छा है यह भी दोनों को एक दुसरे से आजादी मिलती ....!

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  6. हा हा हा ....सही है ईंट का जवाब पत्थर से बखूबी दिया है आपने :)
    कभी समय मिले तो आयेगा मेरी पोस्ट पर आपका स्वागत है
    http://mhare-anubhav.blogspot.com/

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  7. बिचारे पतिदेव की तो खूब खिंचाई करवा दी है आपने,सर्जना जी.

    समय मिलने पर मेरे ब्लॉग पर आईयेगा.नई पोस्ट जारी की है.

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  8. तुर्की-ब-तुर्की जवाब !
    फिर पतिदेव क्या बोले ?

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  9. जीवन में मुसीबत एक ही अच्‍छी लगती है। बार बार बदलने से तो बाप रे बाप!

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  10. अब हम क्या कहें, अजित गुप्ता जी से सहमत हैं

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  11. सादर आमंत्रण आपकी लेखनी को... ताकि लोग आपके माध्यम से लाभान्वित हो सकें.

    हमसे प्रत्यक्ष व परोक्ष रूप से जुड़े लेखकों का संकलन छापने के लिए एक प्रकाशन गृह सहर्ष सहमत है.

    स्वागत... खुशी होगी इसमें आपका सार्थक साथ पाकर.
    आइये मिलकर अपने शब्दों को आकार दें

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