श्री लंका का नाम हम सनातन धर्मियों के मन में बचपन से गहरे पैठ जाता है । श्री लंका यानि रावण की सोने की लंका जहां महाबलशाली महाबुद्धिमान शिवभक्त राजा रावण का राज था । श्री लंका यानि जहां रावण भगवान राम की पत्नी सीता को अपहरण करके ले गया था। बचपन में रामलीला देख देख कर रावण और लंका की एक बुरी सी छवि मन में बस जाती है । रावण इतना धनवान ,बलवान बुद्धिमान फिर इतना बुरा काम क्यों किया बालमन में एक नफरत सी रहती थी रावण के प्रति । बड़े हुए तो गोस्वामी तुलसीदास जी की रामचरिमानस पढ़ी । और विशेषकर सुंदरकांड जो सबसे ज्यादा पढ़ा जाता है उसमें अशोक वाटिका का वर्णन है । जहां रामभक्त हनुमान जी सीता माता की सुध लेने पहुंच जाते हैं । तुलसीदास जी ने सीता मां का जो मार्मिक वर्णन किया है उसे पढ़ते हुए आंखे भर आती हैं । मन में एक इच्छा भी पैदा होती है कि अशोक वाटिकी कैसी है कभी देखा जाए । और ये बरसों की साध पूरी की रविंद्र प्रभात जी के परिकल्पना सार्क शिखर सम्मान समारोह ने । रविंद्र जी ने जब पुरस्कार देने और श्री लंका चलने का प्रस्ताव भेजा तो मन एकदम खुश हो गया । दोहरी खुशी एक तो परिकल्पना से सम्मान और दूसरे श्री लंका में भगवान राम सीता और हनुमान जी से जुड़े स्थल देखने का सौभाग्य । तुरंत हां कर दी ।
22 मई को परिकल्पना का पूरा ग्रुप चैन्नई के इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर मिला और हम सब उत्साह उल्लास और उमंग से भरे उड़ गए कोलंबों के लिए । हम 23 तारीख को श्री लंका के सबसे सुंदर पहाड़ी स्थल कैंडी पहुंचे । वो दिन बहुत व्यस्त रहा कैंडी शहर में वहां के कलाकारों से मिलना शाम को कवि सम्मेलन । अगले दिन यानि 24 मई को हमें जाना था अशोक वाटिका । सारी रात नींद नहीं आयी । मन बैचैन हुआ जा रहा था मन कर रहा था हनुमान जी की तरह उड़ कर हम भी पहुंच जाएं अशोक वाटिका । लेकिन हमें तो टूर ऑपरेटर की बस ही लेकर जाएगी ना । इसलिए इंतज़ार किया सुबह होने का । केवल मैं ही सभी 22 लोग बहुत खुश थे बहुत खुश कि आज अशोक वाटिका के दर्शन होंगें । गणेश वंदना से यात्रा शुरू की ग्रुप में बहुत से अच्छे गायक थे कुसुम वर्मा , सुनीता यादव , माला चौबे, शुभदा पांडे जी और बाराबंकी कॉलेज की प्रिंसीपल डॉ अर्चना श्रीवास्तव राम वंदना हनुमान चालीसा सुंदरकांड की चौपाइयों का सुर में गायन और अधिक उत्साह भरता गया ।
और जब हम अशोक वाटिका पहुंचे तो सुंदरकांड की चौपाइयां कानों में गूंजने लगीं जो वर्णन तुलसीदास जी ने किया है वो आंखो के सामने आ गया । लेकिन अब वैसी अशोक वाटिका नहीं है जिसका वर्णन श्री रामचरितमानस में है । अशोक के पेड़ ज़रूर है लेकिन वाटिका नहीं अब यहां दक्षिण भारतीय शैली में बना एक मंदिर है जिसके पीछे एक छोटी सी नदी बहती है । मंदिर में पहुंच कर सबसे पहले हनुमान जी के दर्शन होते हैं फिर कुछ सुंदर पेंटिंग लगी है रामायण से संबंधित और मंदिर के गर्भगृह में हैं श्री राम सीता लक्ष्मण और हनुमान जी की मूर्तियां । यहां तमिल ब्राह्ण ही पुजारी हैं उन्होने अच्छे से हमारी पूजा करवायी । सबकी आंखें भरी हुईं थीं . हमारे ग्रुप के बहुत से लोगों की आंखों से आंसुओं की धार बह रही थी । सीता माता के कष्टों को याद कर मन भर आया तो अशोक वाटिका के दर्शन करने की खुशी के आंसू मिल कर बह रहे थे । कुछ देर हमने यहां पाठ किया और लखनऊ की प्रसिद्ध गायिका कुसुम वर्मा मे सुंदर भजन गाए । यहां से उठने का मन ही नहीं कर रहाथा । मंदिर के पीछे जो छोटी सी नदी बहती है वहां की चट्टानों में हनुमान जी के पांवों के गहरे निशान हैं . कहते हैं जब हनुमान जी पेड़ से नीचे कूदे तो उनके पैरों की छाप पत्थरों पर पड़ी थी औऱ वो आज भी दिखायी देती है ।
सच कहूं तो parikalpana के raviendra prabhat ji का निमंत्रण स्वीकार करने का एक बड़ा कारण अशोक वाटिका के दर्शन करने का लोभ भी था । जीवन की साध पूरी हुई . धन्यवाद parikalpna धन्यवाद raviendra prabhat ji जय सिया राम जय जय श्री राम
- Sarjana Sharama
बहुत ही सुंदर
जवाब देंहटाएंजय श्री राम।
जय श्री हनुमान।।
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शनिवार (13-06-2015) को "जुबां फिसलती है तो बहुत अनर्थ करा देती है" { चर्चा अंक-2005 } पर भी होगी।
जवाब देंहटाएं--
सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
--
चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक
चलिए इसी बहाने हमें भी अशोक वाटिका के दर्शन हो लिए ..सचित्र प्रस्तुति बहुत अच्छी लगी ..
जवाब देंहटाएंआभार आपका
जय सिया राम
ब्लॉग बुलेटिन मेरी पोस्ट को चर्चा में शामिल करने के लिए धन्यवाद
जवाब देंहटाएंरूप चंद्र मयंक शास्त्री जी आपके स्नेह के लिए आभार . आशा है आप स्वस्थ सानंद होंगें
जवाब देंहटाएंसचिन जी और कविता जी आपको अशोक वाटिका के बारे में पढ़ कर आनंद आया . ये जान कर अच्छा लगा ।
जवाब देंहटाएंइस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंइस हिंदी ब्लॉग पर आने के आपको आमंत्रण:
जवाब देंहटाएंहिंदी इन्टरनेट
http://hindiinternet.com
बहुत सुन्दर
जवाब देंहटाएंप्रणाम
जवाब देंहटाएंking tip1x2 Review - Shootercasino bet365 bet365 クイーンカジノ クイーンカジノ 110Free stud poker online no download, bet4life Casino no deposit,
जवाब देंहटाएं