एक पत्र तिरूपति बाला जी के नाम
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परम पूजनीय तिरूपति बाला जी ,
आप की सदा ही जय हो
तिरूपति बाला जी यानि भगवान विष्णु, आंध्रप्रदेश के तिरूपति शहर के समीप तिरूमला की पहाडि़यों में आप तिरूपति यानि श्री देवी लक्ष्मी के पति के नाम से विराज रहे हो । आप भारत के सबसे अमीर भगवान हो . आप के भक्तों में भारत के दौलतमंद , शोहरतमंद , शक्तिशाली और बलशाली लोग शामिल हैं । जब वो आपके दर्शन के लिए आते हैं तो पूरी दुनिया को पता चल जाता है । ये लोग कभी आपको सोना चढा़ते हैं, कभी चांदी चढ़ाते हैं, कभी हीरे मोती लुटाते हैं । ये अमीर हैं प्रभावशाली हैं इसलिए इनके लिए आपके दर्शन की व्यवस्था भी TRUMALA TRUPATI DEVSATHANAM TRUST ही करता है । इन्हें विशेष दर्शन कराए जाते हैं । जितनी देर ये चाहें आपके गर्भगृह में बैठ कर पूजा कर सकते हैं ।
लेकिन तिरूपति जी आपके हमारे जैसे लाखों करोड़ों साधारण भक्त भी हैं । आपकी इतनी महिमा सुन रखी है इसलिए आपके दर्शन की चाह बरसों से मेरे मन में भी थी । आपने कृपा की तो इस बार मई के अंतिम सप्ताह में आपके दर्शन का अवसर मिला । जिन्होनें 30 मई को मंगला आरती के दर्शन कराने का वचन दिया था उन्होनें 29 मई की दोपहर को फोन करके अपनी असमर्थता जता दी कहा कि बहुत वीआईपी आ रहे हैं आप फिर कभी आना । उस समय मैं चैन्नई में थी भला हो मदनलाल जैन जी और उनके पुत्र का जिन्होनें तुरंत चैन्नई से हर रोज आपके तीर्थ तक आने वाली बस के टिकट की आनन फानन में व्यवस्था करवा दी । कहते हैं जो होता है अच्छा ही होता है । यदि मैं एक साधारण भक्त की तरह आपके दर्शन के लिए ना आती तो शायद वो सब मुश्किलें कभी ना समझ पाती जो साधारण भक्त बरसों से झेलते आ रहे हैं । तिरूपति शहर में जब हमें ANDHARA PRADESH STATE TRANSPORT की खटारा बस में बिठाया गया तो वहीं से समझ आ गया कि राज्य सरकार को इतनी भी चिंता नहीं है कि तीर्थयात्रियों को तिरूमला ले जाने के लिए ढंग की बसें तो लगवा दे । तिरूपति से तिरूमला तक बस की खिड़कियां और दरवाज़े कीर्तन कर रहे थे । सीटें एकदम बेकार पहाड़ी रास्ता और खटारा बसें बात जमती नहीं भगवान ।
TRUMALA TRUPATI DEVSATHANAM TRUST के पास अकूत दौलत है लेकिन आपके भक्तों की सुविधा के लिए उसका 10 फीसदी भी खर्च किया जाता हो लगता नहीं है । पहली बात तो आपके दर्शन की राह बिना बात इतनी दुर्गम और लंबी बना दी गयी है जिसकी आवश्यकता नहीं है । जहां आकर खटारा बसें रूकती हैं वहीं की मार्किट में टूर ऑपरेटर अपनी किसी तय दुकान पर चप्पल , मोबाइल और अन्य. सामग्री जमा करवा देता है । लेकिन तिरूपति जी यदि आपका कोई भक्त विशेषकर उत्तर भारतीय इन दुकानदारों से एक भी सवाल कर ले तो खैर नहीं चिल्ला कर झल्ला कर अपनी मातृभाषा में जवाब देंगें । चेहरे पर मुस्कान तो दूर हमें तिरस्कार के भाव से देखेंगें । आपके दर्शन का आधा उत्साह मर जाता है । फिर यहां से मंदिर तक नंगें पैर चलना पड़ता है । मौसम का उग्र पारा चिलचिलाती धूप । लेकिन पीने के पानी की कहीं उचित व्यवस्था नहीं । ताज़ा कोलतार से बनी सड़कें कोलतार पिघल रहा था उसमें पैर धंसे जा रहे थे । क्या आपका इतना अमीर ट्रस्ट तीर्थयात्रियों के लिए एक छायादार रास्ता भी नहीं बनवा सकता । जिस सड़क पर वाहन चलते हैं उसी पर तीर्थयात्री चलते हैं ।
जहां से टिकट वाली यात्रा आरंभ होती है वहां से रास्ता कुछ अच्छा है । छायादार गलियारा बना है पंखे भी लगे हैं । धीरे धीरे तीर्थयात्री आगे बढ़ते हैं । और फिर थोड़ा तंग और उमस भरा रास्ता आ जाता है । धक्का मुक्की भी शुरू हो जाती है । दो के बजाए तीन लाइनें बन जाती है । इस पूरे रास्ते में कहीं पीने के पानी की व्यवस्था नहीं जो एक आध नल लगे हैं उनका मुंह उल्टी दिशा में है । वैसे भी अगर कोई पानी पीने को लिए रूक भी जाए तो वो लाइन में पीछे हो जाएगा । जो कि कोई नहीं चाहता । पूरे रास्ते में कहीं कोई स्वंय सेवक नहीं जो ये देख सके कि आपके किसी भक्त को गर्मी के मारे चक्कर तो नहीं आ गए । किसी को अचानक सीने में दर्द तो नहीं हो गया या कोई गर्मी के मारे बेहोश तो नहीं हो गया । तीन चार घंटे लाइन में लगने के बाद जब भक्त आपके मंदिर के प्रवेश द्वार पर पहुंचता है तो उसे खुशी ज़रूर होती है लेकिन वहीं आकर देखता है कि वहां तो रास्ते की लाइन से भी ज्यादा धक्का मुक्की है । जो अपने को संभाल ले वो सूरमा । आपके भक्तों में बहुत से बूढ़े और निर्बल लोग भी होते हैं । आपके गर्भ गृह को दूर से देख कर मन खुश होता है रास्ते में मिले सारे कष्ट भूल जाते हैं । लेकिन LORD TIRUPATI JI अभी तो आपके भक्तों के लिए सबसे कष्टदायक और अपमानजनक अनुभव बाकी रहता है ।
तीन चार किलोमीटर के सारे रास्ते में जहां एक भी वालिंटियर नहीं वहीं आपके गर्भगृह के ठीक सामने और आसपास ऐसे भयंकर किस्म के वालिंटियर तैनात हैं जैसे कभी अशोक वाटिका की रक्षा के लिए वालिंटियर तैनात किए गए होंगें । हज़ारों किलोमीटर की यात्रा करके घंटों भूखे प्यासे रह कर लाइन में लगने के बाद जब आपकी प्रतिमा के दर्शन करने की घड़ी आती है तो अचानक आपके भक्तों को वालिंटियर जो़र से धक्का देते हैं दस सैकेंड भी खड़े नहीं होने देते । अब आप ही बताएं LORD TIRUPATI JI क्या आपके भक्त आपके तीर्थ पर धक्के खाने आते हैं । और आप सामने मूक हो कर देखते रहते हैं । तिरूपति बाला जी सच कहूं तो धक्का खाकर मुझे TRUMALA TRUPATI DEVSATHANAM TRUST के वालिंटियर्स पर बहुत गुस्सा आया मैनें भी उसे जो़र से झक्का दिया और कहा कि कुछ भी करो मैं दो मिनट यहां ज़रूर खड़ी रहूंगी । इतने में आपके सारे वालिंंटियर्स एकत्र हो गए और अपनी भाषा में जोर जोर से चिल्लाने लगे । खैर मुझे उनके चिल्लाने से कोई फर्क नहीं पड़ा । पर भगवान ये कैसा न्याय है आपका ।आप सबसे अमीर भगवान हो इसलिए आपके द्वार पर अमीर भक्तों की ही आव भगत होती है । आप भी उन इंसानों जैसे हो जो अपने ग़रीब रिश्तेदारों को पानी भी पिलाना उचित नहीं समझते । आपके जो अमीर भक्त आते हैं उनके लिए तो काफी अच्छे इंतज़ाम किए जाते हैं । LORD TIRUPATI JI आप जानते हैं ना कि भक्त से भगवान और भगवान से भक्त हैं । यदि आपके भक्त ना होंगें तो आप की महिमा कैसे होगी । आपके दर्शन के लिए लाखों करोड़ों भक्त आते हैं इसलिए आप की महिमा है । आपकी अपार महिमा है इसलिए भक्त आते हैं । भगवान और भक्त का भी GIVE AND TAKE का रिश्ता होता है । लेकिन बीच में जब धर्म के ठेकेदार आ जाते हैं तो रिश्ता थोड़ा तो बांका तिरछा होता ही है । TIRUPATI BALA JI आपका ये जो TRUMALA TRUPATI DEVSATHANAM TRUST है ना आपके और आपके साधारण भक्तों के रिश्ते ज़रूर खराब करवा सकता है । आपसे अनुरोध है कि आप TRUMALA TRUPATI DEVSATHANAM TRUST C.E.O और अन्य सदस्यों को निर्देश दें कि हम जैसे भक्तों को भले ही RED CARPET WELCOME ना दे लेकिन कम से कम धक्के भी ना दे । और भारी कमाई का कुछ हिस्सा तीर्थ के विकास और तीर्थयात्रियों की सुविधा पर भी खर्च करे ।
और पत्र के अंत में आपसे क्षमा प्रार्थना । भावातिरेक में मुझसे कोई भूल हुई तो क्षमा करना भगवान । हम आपकी संतान है हमें कोई कष्ट होगा तो आपसे नहीं कहेंगें तो किससे कहेंगें । आशा है आप मेरे और मेरे जैसे लाखों करोड़ों अपने भक्तों की भावनाओं को समझेंगें और अन्यथा नहीं लेंगें । आशा है जब अगली बार आपके दर्शन के लिए आऊंगी तो कुछ सुधार मिलेंगें ।
श्रद्धा और भक्ति के साथ
आपकी एक साधारण भक्त
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